India will have to pay Rs 68,500 crore extra to repay debt due to weak rupee IN hindi

रुपये का भाव गिरने से केवल कच्चे तेल का आयात बिल
ही नहीं बढ़ गया है, बल्कि विदेशी कर्ज वापसी भी भारी पड़ने वाली है। इस वर्ष डॉलर के मुकाबले रुपया 11 प्रतिशत से ज्यादा टूट चुका है, इसलिए अब भारत को विदेशी कर्ज चुकाने में 68,500 रुपये अतिरिक्त खर्च करने होंगे। यह लघु अवधि में चुकाए जाने वाले कर्ज हैं जिन्हें अगले कुछ महीनों में वापस किया जाना है। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के आंकड़ों से यह तथ्य सामने आया है।

गुरुवार को डॉलर के मुकाबले रुपया 72 के पार चला गया था। अगर इस वर्ष रुपया और गिरा और यह डॉलर के मुकाबले औसतन 73 पर आ गया और अगर कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमत औसतन 76 डॉलर प्रति बैरल रही तो देश का तेल आयात बिल 45,700 करोड़ रुपये बढ़ जाएगा। एसबीआई के मुख्य आर्थिक सलाहकार सौम्य कांति घोष ने गुरुवार को एक नोट में इसकी जानकारी दी।

2017 में भारत पर 217.6 अरब डॉलर विदेशी कर्ज था। यह छोटी अवधि कर्ज था जिनमें नॉन-रेजिडेंट डिपॉजिट्स और कंपनियों द्वारा विदेशों से लिए गए वाणिज्यिक कर्ज शामिल थे। अनुमानतः इस कर्ज की आधी रकम इस वर्ष की पहली छमाही में वापस की जा चुकी हो या इसे अगले वर्ष के लिए टाल दिया गया हो तो भी शेष कर्ज वापसी के लिए 7.1 लाख करोड़ रुपये चुकाने होंगे। इस रकम की गणना 2017 में औसतन 65.1 प्रति डॉलर के एक्सचेंज रेट से की गई है।

घोष ने नोट में लिखा, 'इस वर्ष की दूसरी छमाही में अगर रुपये के औसतन 71.4 प्रति डॉलर तक गिरने का अनुमान जताया जाए तो कर्ज वापसी की रकम 7.8 लाख करोड़ रुपये हो जाएगी।' इसका मतलब है कि कर्ज वापसी की वास्तिवक रकम से करीब 70 हजार करोड़ रुपये ज्यादा।

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